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नरसिंहपुर। जमीन के मामूली विवाद में जिस शख्स ने सगे छोटे भाई को दुश्मन मानकर उसे पिछले 8 साल से कोर्ट कचहरी में घसीटे रखा, अंत समय में उसी छोटे भाई ने बड़े को मुखाग्नि दिलाई। खास बात ये है कि अपने जीते-जी मृतक ने जिस दामाद को अपना बेटा मानकर उसे सब कुछ दिया, वही उसकी लाश को अस्पताल में छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
रिश्तों को झकझोर करने वाली ये घटना रविवार सुबह अग्रवाल नर्सिंग होम में देखने को मिली। जानकारी के अनुसार अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से लोलरी निवासी मुन्न्ा पटेल कोरोना संक्रमण के चलते इलाजरत थे। उनके साथ देखभाल के लिए मरीज के दामाद अशोक पटेल भी यहां मौजूद रहे। रविवार सुबह जैसे ही अशोक को पता चला कि उनके ससुर मुन्न्ा पटेल की मौत हो गई है तो उनकी लाश को मुक्तिधाम पहुंचाने के बजाय वे अस्पताल से खिसक लिए। लावारिस हालत में पड़ी मुन्न्ा पटेल की लाश को देखकर अस्पताल में ही मौजूद चिलका तेंदूखेड़ा निवासी प्रीतम पटेल ने ढिगसरा निवासी पत्रकार धर्मेश शर्मा को सूचित किया। धर्मेश शर्मा ने तत्काल ये सूचना मृतक के छोटे भाई किशन सिंह लोधी चिलका निवासी को दी। उन्हें बताया कि मुन्न्ा पटेल की लाश का अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है। वहीं प्रीतम ने पटेल ने मुन्न्ा पटेल की दूसरी पत्नी के बेटे खेरुआ निवासी मिथलेश को भी सूचना दी। किशन सिंह लोधी, बड़े भाई के बेटे मिथलेश व दोस्त धर्मेश शर्मा के साथ आनन-फानन में नरसिंहपुर पहुंचे। अस्पताल से शव को नगरपालिका के वाहन से नकटुआ स्थित मुक्तिधाम पहुंचाया। यहां चिता सजवाकर बड़े भाई मुन्न्ा के पार्थिव शरीर को बेटे मिथलेश से मुखाग्नि दिलवाई।
8 साल से बरकरार थी दुश्मनी: चिलका निवासी किशन सिंह लोधी ने बताया कि करीब 8 साल से उनका बड़े मुन्न्ा पटेल से जमीन के एक टुकड़े को लेकर विवाद चल रहा था। इसके लिए कोर्ट-कचहरी भी हो रही थी। इन वर्षों में उनके भाई उन्हें सिर्फ दुश्मन ही मानते थे। वे 8 साल से सांसद राव उदय प्रताप सिंह के गांव लोलरी में निवासरत अपने दामाद अशोक के साथ रह रहे थे। बड़े भाई अपने दामाद को बेटे से अधिक मानते थे। मुक्तिधाम में फूट-फूटकर रोते-बिलखते किशन सिंह लोधी कहते नजर आए कि उनके भाई अस्पताल में भर्ती रहे, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं बताया। मौत की जानकारी भी परायों से मिली, इससे बड़ा दुर्भाग्य उनके जीवन में और क्या हो सकता है।